तेरे मायके जाने के बाद|
तेरे मायके जाने के बाद,
पूरा घर एक कोने में
सिमट के रह गया है|
सीडीयां ऊपर जाने वाली ऊपर नहीं जाती,
नीचे आने वाली,
नीचे नहीं आती,
यूं तो बिस्तर डबल बेड का है,
पर सिकुड़कर एक तरफ ही रह गया,
वह खिड़की के पर्दे जिनके रंग खुशनुमा और रंगीले हुआ करते,
आज वो सिमटे हुए सादे और सफेद रंग के सपाट दिखाई देते हैं,
खिड़की से कमरों में आती थी,
शीतल बयार,
आज उष्ण हवाएं अंदर आकर झुलसा देती है|
तुम्हारे रहते दीवारों के रंग खिले खिले होते,
आज उदास और फीके,
और रीते से हैं,
और तो और
रसोइ में बर्तनों की,
आपस मे बतकही बन्द है,
चीनी,चायपत्ती कोनो में छुप कर,
हाथ आने से
बचती है|
सच तुम्हारे माँ के पास
जाने से,
इतना बड़ा घर एक
छोटे से कोने में सिमटकर रह
गया है।
संजीव ठाकुर,कवि रायपुर