झोड़े के ग्रुपों ने मचाई सेमीफाइनल में धूम, नृत्य-गीत-संगीत से गोमा तट पर सजी शाम
लखनऊ: उत्तराखण्ड महापरिषद द्वारा आयोजित पं0 गोविन्द बल्लभ पंत पर्वतीय सांस्कृतिक उपवन (गोमती तट) बीरबल साहनी मार्ग लखनऊ के दस दिवसीय उत्तराखण्ड महोत्सव के सातवेे दिन झोड़ा प्रतियोगिता के सेमी फाइनल में चारों टीमों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया गया। आशा रावत के नेतृत्व में अवधी भोजपुरी उत्तराखण्डी गायन एवं नृत्य किया गया तथा जया श्रीवास्तव के नेतृत्व में आई टीम ने बालीवुड थीम पर कार्यक्रम देकर गोमा तट पर गीत संगीत नृत्य की सतरंगी बयार बहा दी।
कुमाऊँ ज्वैलर्स के स्टालों पर उत्तरखण्ड की ज्वैलरी तथा परिधान पिछौड़ा, ऐपण, खान पान के स्टालो पर चाउमीन, बतासे, चाॅट, मोमोज केसरिया दूध, भेलपूड़ी, उत्तराखण्ड की प्रसिद्ध बाल मिठाई, उत्तराखण्ड के जैविक उत्पाद खूब बिके। लोगों ने अमेरिकन भुट्टा एवं तन्दूरी चाय को खूब पसंद किया।

आज के सांयंकालीन संध्या का मुख्य अतिथि श्री अशोक रावत, सांसद मिश्रिख के साथ कुलदीप के0 लाल निदेशक राष्ट्रीय मत्स्य आनुंशिकी संसाधन ब्यूरों भारत सरकार ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। श्री दीवान सिंह अधिकारी संयोजक, हरीश चंद्र पंत अध्यक्ष, भरत सिंह बिष्ट महासचिव श्री के.एस. चुफाल कोषाध्यक्ष ने अतिथियों का स्वागत किया।
मीनू अधिकारी, रेनू अधिकारी, आशा बनौला, कमला चुफाल के नेतृत्व में दिन की एकल गायन की प्रतियोगिता में आठ प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। जिसके निर्णायक मण्डल के वी0 के0 जोशी, पुष्पा वैष्णव ने सृष्टि देव एवं एन एस खन्नी को प्रथम, खुशबू केशवानी को द्वितीय, तथा हर्षिता को तृतीय घोषित किया।

उत्तराखण्ड का पारम्परिक झोड़ा-यह शब्द हिन्दी के जोड़ा शब्द से लिया गया है, यह एक सामूहिक नृत्य है, यह शादी एवं उत्सव मेले आदि में किया जाता है। घेरा बनाकर किया जाने वाला इस समूह नृत्य में स्त्री पुरूष एक दूसरे के कंधे पर हाथ रखकर तीन पग आगे एक पग आगे करते हुए नृत्य करते हैं। बीच में मुख्य गायक हुड़का बजाते हुए पहली पंक्ति गाता है, अन्य लोग उसे उसी लय में दोहराते हैं। यह स्त्री पुरूष का श्रंृगारिक नृत्य है।
आज 4 बजे झोड़ो का सेमीफाइनल शुरू हुआ, जिसमें कल्याणपुर के टीम ने हेमा बिष्ट के नेतृत्व में बाजि पडि ग्ये कुड बाड़ी, तेली बाग के टीम राजेन्द्र सिंह बिष्ट के नेतृत्व मंे जय जय हो बदरी नाथा, रेनू काण्डपाल के नेतृत्व में कुर्माचल नगर की टीम ने कान की बालि कपिसी रैगे तथा पंतनगर की टीम ने खोल दै माता खोल भवानी का सुन्दर मंचन किया।
अर्चना बाजपेयी के नेतृत्व में पंचवटी नृत्य नाटिका आयोजित की गई तथा स्तुति जैन की प्रस्तुति भी सराहनीय रही। येशू वर्मा ने फुलडिया गाने पर नृत्य की सुन्दर प्रस्तुति तथा ज्योति किरन की एकल प्रस्तुति को दर्शकों ने खुब सराहा। रीतिका द्वारा पारम्परिक गाने नृत्य तथा आकाशवाणी तथा दूरदर्शन की कलाकार रंजना मिश्रा द्वारा अवधी लोक गीत गायन किया गया।

सांय 6 बजे से प्रभा सांस्कृतिक एवं जन कल्याण समिति अल्मोड़ा द्वारा वंदना के बाद ‘‘देवीधुरा के बग्वाल’’ तथा उत्तराखण्ड के पारम्परिक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। इनके द्वारा देवीधुरा के पौराणिक बग्वाल की सुन्दर प्रस्तुति दी। देवीधुरा का बग्वाल मेला जिसमें पत्थरों से युद्ध होता है। मान्यता के अनुसार देवी की आराधना के लिए लोग एक दूसरे पर पत्थर बरसाते है और हर बार जय माॅ बाराही के जयकारे लगाते है।
दिब्या उपाध्याय के निर्देशन में जय जवान जय किसान प्रस्तुति देश भक्ति से ओत प्रोत रही। गिरीश बुग्याल ने अपने उत्तराखण्डी लोक गीतों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कुसुम वर्मा के नेतृत्व में अवधी, भोजपुरी, उत्तराखण्डी प्रस्तुतियों देकर धमाल मचाया। भूषण अग्रवाल के निर्देशन में आये समूह ने उत्तराखण्ड के फोक नृत्यों से शाम सजाई। जया श्रीवास्तव ने वालीवुड थीम पर दर्शकों ने वाह वाही लूटी।