गत वर्ष के लिए कुछ स्वरचित पंक्तियों की कड़ी में…

याद आएगा तू ,बहुत पछतायेगा तू ,
हमे नही पता था कि, इतना कर जाएगा तू ;
हम तो अनभिज्ञ थे ,अपने नवजीवन से ,
हमे क्या पता कि, इतना दूर ले जाएगा तू।
मन की आशाओं को कुहासा बना दिया ,
जिंदगी की डोर को कुएँ में लटका दिया ;
सोचा था कुछ कर जाने की ,
स्वमंजिल को अपनाने की ;
काल को तूने विकराल कर दिया ,
पगधारी को तूने पराली बना दिया।
याद आएगा तू …..
कल को तूने ऐसा , एक अक्ल दे दिया,
ब्राह्मण्ड को तूने ऐसा, एक ज़ख्म दे दिया;
यह ज़ख्म ही नही, नासूर घाव बन जायेगा तू ,
बहुत याद आएगा, तू बहुत पछताएगा तू……

पं. सुजीत शर्मा( शिक्षक) प्रयागराज

Related Articles

Back to top button