खोया पाया सारा देखना

आना जाना और खोया पाया सारा देखना
दो ही गज के वास्ते इतना नज़ारा देखना।

है मुनासिब जब कभी भी बेसहारा देखना
तब सहारा बनने में रब का इशारा देखना।

मेरी नज़रों में फ़क़त सूरत है तेरी,बेसबब
मुस्कुराती पुतलियाँ करतीं इशारा देखना।

राज़दाँ नज़रों को तेरी बेवफ़ा करके गया
पीछे मुड़के तेरा यूँ मुझको दुबारा देखना।

और कुछ भी देखने की तो ज़रूरत ही नहीं
सिर्फ़ मिट्टी ही तो हो,मिट्टी ही सारा देखना।

शावर भकत “भवानी”
कोलकाता
पश्चिम बंगाल

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