क्या है सिंदूर से बिछिया तक स्त्रियों के श्रृंगार का राज
हिन्दू धर्म में शादी के बाद सुहागन स्त्रियां मांग को सिंदूर सजाती हैं क्योंकि यह सुहाग का चिन्ह माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे पति की उम्र लंबी होती है। जबकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण यह है कि सिंदूर माथे पर उस स्थान पर लगाया जाता है जहां भावनाओं को नियंत्रित करने वाली ग्रंथी मौजूद होती है। इससे मन और भावनाओं पर नियंत्रण होता है। साथ ही सिंदूर में मौजूद तत्व रक्त संचार के साथ ही यौन क्षमताओं को भी बढ़ाने का भी काम करते हैं जो वैवाहिक जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
महिलाएं अपने पैरों का श्रृंगार करने के लिए पाजेब और पायल पहनती हैं। इसका कारण यह है कि पायल पैरों की खूबसूरती को बढ़ाता है। इस रिंग की वजह से शरीर से निकले वाली विद्धुत उर्जा वापस शरीर में लौट जाती है और पैरों में होने वाली किसी भी तरह की परेशानियों से बचाती है। साथ ही यह भी माना जाता है कि पायल पेट और शरीर के पिछले भाग में चर्बी को बढ़ने से रोकता है जिससे उनका शरीरिक गठन आकर्षक बना रहता है।
लड़कियां कानों में बाली और झुमके इसलिए नहीं पहनती हैं कि उनकी सुंदरता की तारीफ हो। असल में इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि चिकित्सा विज्ञान के अनुसार कान में ईयर रिंग धारण करने से चेहरे की त्वचा में कसाव आता है जिससे त्वचा पर ग्लो आता है। कर्ण छेदन करवाने से बौद्धिक क्षमता और सोचने समझने की क्षमता बढ़ जाती है।
आपने देखा होगा कि सुहागन स्त्रियां हाथों में अंगूठी पहने या नहीं पहने पैरों में अंगूठी जैसे दिखने वाला गहना जिसे बिछुआ कहा जाता है जरुर पहनती हैं। इसका धार्मिक कारण सुहाग की लंबी उम्र से है जबकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण यह कहता है कि पैरों में अंगूठे के बाद जो दूसरी उंगली होती है उसकी ग्रंथी गर्भाशय और हृदय से होकर गुजरती है। बिछुआ पहनने से गर्भाशय को बल मिलता है और यौन क्षमता बढ़ती है साथ ही मासिक धर्म के समय होने वाली परेशानियों में कमी आती है।
महिलाएं अपने हाथों और पैरों में मेंहदी जरुर लगाती हैं। इसका कारण सिर्फ सौंदर्य बढ़ाना नहीं है बल्कि इसका संबंध स्वास्थ्य से है। मेंहदी का इस्तेमाल आयुर्वेद में कई रोगों की औषधी के रुप में किया जाता है। यह तनाव को दूर करने में कारगर होता है।
महिलाओं के श्रृंगार में चूड़ियों का महत्वपूर्ण स्थान हैं। लेकिन महिलाओं के अन्य श्रृंगार साधन की तरह चूड़ियां धारण करने का भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण है। विज्ञान के अनुसार चूड़ियों के कारण कलाई में एक घर्षण उत्पन्न होता है जिससे कलाइयों में सुचारु रुप से रक्त संचार होता है। जिससे कलाईयों में होने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से बचाव होता है।