क्या बिखरने लगा है किसान आंदोलन, दो किसान संगठन आंदोलन से हुए अलग

देश—विदेश

नई दिल्ली। तीन कृषि कानूनों के विरोध में करीब दो महीने से चल रहे आंदोलन अब बिखरता नजर आ रहा है। दिल्ली में मंगलवार को ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसक घटनाओं व लालकिले के प्राचीर पर निशान साहिब और किसान संगठन का झंडे का फहराने को लेकर और राष्ट्र ध्वज के अपमान से आहत होकर भानु गुट ने अपना धरना वापस लिया है।

चिल्ला बार्डर पर धरना दे रहे भारतीय किसान यूनियन (भानू) ने बुधवार को अपना टेंट हटा लिया है। अब चिल्ला बार्डर से दिल्ली-नोएडा मार्ग 57 दिनों के बाद यातायात के लिए फिर से खोल दिया गया है। वहीं, दिल्ली हिंसा को लेकर पुलिस ने 25 से अधिक लोगों पर एफआईआर दर्ज की हैं और 93 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। एक्टर दीप सिद्धू और लक्खा का भी नाम एफआईआर में शामिल है।

राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन नेता वीएम सिंह ने प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि हम लोग यहां मार खाने के लिए यहां नहीं आए हैं। देश को हम बदनाम नहीं करना चाहते हैं। वीएम सिंह ने बताया कि राकेश टिकैत ने एक भी मीटिंग में गन्ना किसानों की मांग नहीं उठाई।
सिंघु बार्डर पर बुधवार शाम संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों ने एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में 1 फरवरी को प्रस्तावित संसद मार्च को स्थगित कर दिया है। हालांकि, किसान संगठनों का यह भी कहना है कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा। भारतीय किसान यूनियन के नेता बलबीर एस राजेवाल ने बताया कि दिल्ली में मंगलवार को हुई हिंसा की वजह से प्रस्तावित मार्च को स्थगित कर दिया गया है।

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