कोरोना महामारी के दौरान भारतीय संस्कारों के रक्षक बनकर उभरे संजय राय ‘शेरपुरिया’

विचार—विमर्श

उत्तर प्रदेश के के पूर्वी छोर पर स्थित जनपद गाजीपुर के शेरपुर गांव की माटी का एक लाल मात्र 17 वर्ष की छोटी उम्र में जीवन को नयी दिशा देने के उदेश्य से गुजरात के लिए निकला था। आज उस युवा ने 33 वर्ष के लंबे संघर्ष दिन रात की कड़ी मेहनत के बाद अपनी दूरदृष्टि बेहतरीन व्यापारिक रणनीति के बदौलत गुजरात जाकर एक बहुत बड़ा औधोगिक घराना तैयार कर लिया है, आज इस घराने का देश-विदेश में बहुत बड़ा व्यापार है। वह युवा आज बेहद सम्मान के साथ संजय राय ‘शेरपुरिया’ के नाम से जाना जाता है, जिसकी गिनती गुजरात के दिग्गज उधोगपतियों में होती पासनातन धर्म की परंपराओं को अक्षरशः अपने जीवन में उतारने वाले संजय राय ‘शेरपुरिया’ का हमेशा अपनी जन्मभूमि से विशेष लगाव रहा है।

जिंदगी में परिस्थिति कैसी भी रही हो लेकिन उन्होंने कभी अपने गृह जनपद गाजीपुर को नहीं भूला। संजय राय ‘शेरपुरिया’ इसी विशेष लगाव की वजह से हमेशा अपने गृह जनपद के लिए कुछ ना कुछ जनहित व सामाजिक दायित्व का निर्वहन निरंतर करते रहते हैं। वैसे भी गाजीपुर का यह लाल अपने जनपद में काम करने वाली ‘यूथ रूरल इंटरप्रेन्योर फाउंडेशन’ के चेयरमैन भी है, जो कि गाजीपुर में विभिन क्षेत्रों में लगातार कार्यरत है। लेकिन जब से देश में कोरोना काल शुरू हुआ है तब से वे व्यक्तिगत रूप से लोगों की खामोशी के साथ निरंतर हर संभव मदद करके उनके जीवन को बचाने के लिए प्रयास करते रहे है।

संजय राय ‘शेरपुरिया’ ने जब भारत व विदेशी मीडिया चैनलों पर गंगा में तैरते हुए मानव शवों की खबरों को देखा तो वह बहुत विचलित हो गये। उन्होंने तत्काल ही संकल्प लिया कि जनपद गाजीपुर में गंगा स्थित श्मशानघाटों पर जाकर वह स्थिति को देखकर शवों के दाहसंस्कार को उचित व्यवस्था करेंगे। उन्होंने सभी श्मशानघाटों पर लकड़ी की जबरदस्त कमी की समस्या को देखा, क्योंकि कोरोना महामारी के भयावह काल के चलते लोगों को बहुत अधिक मौतें हो रही हैं।

इससे श्मशानघाटों पर लकड़ी का जबरदस्त अभाव हो गया था। इस परेशानी को देखते हुए उन्होंने तुरंत निदान करने के लिए श्मशानघाटों पर लकड़ी की कमी से कोई व्यक्ति शव को गंगा में यूं ही न फेके। इसलिए गाजीपुर में श्मशानघाट पर ‘लकड़ी बैंक’ बनाया। जिसमें कोई भी व्यक्ति लकड़ी दान कर सकता है। साथ ही जरूरतमंद व्यक्ति को निशुल्क लकड़ी लेकर अपनों के शव का अंतिम संस्कार पूरे विधि और सम्मान के साथ कर सकता है।

फाउंडेशन की ओर से जिले के दस श्मशान घाटों पर लकड़ी बैंक खोला गया है। जिसके लिए बकायदे रोड मैप तैयार किया है, सभी जगह के लिए चार्ज भी नियुक्त किए गए हैं। वहां से निर्धन लोगों के शव का अंतिम संस्कार करने के लिए निशुल्क लकड़ी दी जा रही है। जिससे अब गाजीपुर में लकड़ी की कालाबाजारी पर लगाम लगी और लोगों को अग्नि संस्कार करने में लकड़ी की दिक्कत का समाधान हो गया है।

आपको बता दे कि संजय राच ‘शेरपुरिया’ का समाजसेवा का क्षेत्र सिर्फ गाजीपुर तक ही सीमित नही या देश के विभिन्न हिस्सों में समाजसेवा का कार्य कर रहे हैं। संजय राय ‘शेरपुरिया’ संबे समय से विभिन्न देशों से आये हिन्दूशरणार्थियों के जीवन को सरल बनाने के लिए लंबे समय से काम कर रहे है. दिल्ली स्थित मजलिस पार्क महाराणा प्रताप बस्ती में पाकिस्तान से आए हुए हिन्दु शरणार्थियों को देख-रेख का जिम्मा भी संजय राय ‘शेरपुरिया’ के हाथ में है।

लेकिन कोरोना की दूसरी बेहद भयावह लहर में जब संजय राय ‘शेरपुरिया’ ने देश के विभिन्न राज्यों में धरातल पर बन रहे चिंताजनक हालात देखें, तो उन्हें अपने गृह जनपद गाजीपुर की याद आयी, जहां पर लोगों को केवल सरकारी व्यवस्था के द्वारा उपलब्ध इलाज के भरोसे छोड़ दिया जाता तो ना जाने कितने लोग असमय काल का ग्रास बन जाते।

इसलिए संजय राय शेरपुरिया’ने तुरंत ही अपने निजी कार्यालय से गाजीपुर के लिए दवाई, इंजेक्शन, कोरोना जांच किट, कोरोना दवाई किटव इलाज के लिए आवश्यक अन्य सभी प्रकार के जरूरतमंद मैडिकल उपकरणों से युक्त चिकित्सा वाहनों का बंदोबस्त करके उस काफिले को लोगों के इलाज के लिए गाजीपुर भेज दिया, जिसके माध्यम से ना जाने कितने लोगों का अनमोल जीवन बचाया गया। ऐसा करके संजय राय ‘शेरपुरिया’ अब उधोगपति समाजसेवी के साथ एक निडर निर्भिक इंसान व इंसानियत की रक्षा करने वाले कोरोना वारियर्स बन गये हैं।

कोरोना वायरस संक्रमण की भयावहता को देखते हुए उन्होंने अपने जीवन की परवाह किये बिना गाजीपुर के लोगों के अनमोल जीवन को बचाने के लिए अपनी समस्त टीम के साथ गाजीपुर आकर खुद मौके पर मोर्चा सम्हाल लिया, भयावह आपदाकाल में जब लोग अपनी जान बचाने के लिए घरों में छिपे बैठे है उस समय संजय राय को हिम्मत की दाद देनी पडेगी, जो उन्होंने आम-जनमानस के जीवन को बचाने के लिए अपने जीवन को खतरे में डाल दिया। संजय राय’शेरपुरिया’ ने अपनी समस्त टीम व अन्य लोगों में जोश लाने के लिए ‘जन भागीदारी से जन कल्याण की ओर एक कदम’ का नारा देते हुए. इस लक्ष्य के साथ धरातल पर बहुत तेजी के साथ कार्य करना शुरू किया कि कोरोना महामारी के समय में गाजीपुर के हर परिवार और हर व्यक्ति को मिले सम्पूर्ण इलाज। जिसमें वह काफी हद तक सफल भी रहे हैं।

जीवन को बचाने के लिए बड़े स्तर पर एक अभियान की शुरुआत की। जिसके तहत गाजीपुर के आम लोगों व जिले के सराकरी अस्पतालों के लिए मास्क, फेशशिल्ड पीपीई किट बेड़, आक्सीजन, दवाई, इंजेक्शन, कोरोनाजांचकिट, कोरोना के इलाज के लिए दवाईयों की किट, ऑक्सीजन कंसॉन्ट्रेटर आदि जैसी जीवन रक्षक वस्तुएं उपलब्ध करवाई गयी। उन्होंने जिस समय लोग एक-एक साँस लेने के लिए तड़प रहे थे उस भयावह आपदाकाल में गाजीपुर के जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह को एवं जिले की सामाजिक संस्थाओं को 200 से ज्यादा ऑक्सीजन कंसॉन्ट्रेटर उपलब्ध कराये।

जिले के पुलिसकर्मियों के इलाज के लिए पुलिस लाइन में चल रहे अस्पताल के लिए दवाई व ऑक्सीजन कंसॉन्ट्रेटर पुलिस किसान को उपलब्ध करवाये। इसके बाद उन्होंने अलग-अलग जगह चिन्हित करके बड़े पैमाने पर लोगों को इलाज देने के लिए विभित्र प्रकार की सुविधाएं आम लोगों व संस्थाओं को देना शुरू कर दिया, जिस अभियान के तहत उन्होंने यूपी रोडवेज के कर्मचारियों, चालक व परिचालकों को कोरोना की दवाएं और ऑक्सीजन कट्रिटर वितरित किये। कचहरी में सिविल बार एसोसिएशन, अधिवका परिषद एवं एसीएमओ डॉक्टर डीपी सिन्हा के सहयोग से अधिवकाओं और कर्मचारियों को निःशुल्क कोरोना जांच व वैक्सिनेशन तथा दवा वितरण कैम्प का आयोजन करवाया।

उन्होंने जनपद के शादियाबाद स्थित ए.पी.जे. अब्दुल कलाम संस्था और जनपद की एक प्रमुख स्वयं सेवी संस्था ‘समर्पण’ को संरक्षिका सविता दीदी को और शहर के प्राचीन मंदिर बाबा बोराहिया आश्रम चीतनाथ संस्था ऑक्सीजन कंसॉन्ट्रेटर, मास्क, फेशशिल्ड तथा कोरोना दवाईयों के किट उपलब्झ करवाये। भुड़कुद मठ के महंत शत्रुप्न दास महाराज तथा समाजसेवी नीरज सिंह को ऑक्सीजन कंसॉन्ट्रेटर, मास्क, फेशशिल्ड तथा कोरोना दवाईयों का किट आम-जनमानस के इलाज के लिए उपलब्ध कराया। गाजीपुर के रोटरी क्लब संस्था को ऑक्सीजन कंसॉन्ट्रेटर, मास्क, फेशशिल्ड तथा दवाईयों के किट उपलब्ध कराये। ग्राम सभा मादपुर के लिए और युवा पत्रकार एवं समाजसेवी शशिकान्त तिवारी को कोरोना की दवा का किट, मास्क, सेनेटाइजर आदि प्रदान किये।

उपरोक्त कार्य कोरोना आपदाकाल में संजय राय ‘शेरपुरिया’ के द्वारा किये गये जनहित के कार्यों की बानगी मात्र है, सभी का यहां विवरण देना संभव नहीं है। लेकिन अच्छी बात यह है कि अब धीरे-धीरे गाजीपुर जनपद में कोरोना का प्रकोप काफी कम होना शुरू गया है, लेकिन संजय राय ‘शेरपुरिया’ का जीवन बचाओ अभियान बिना रुके बिना थके दिन-रात जारी है। उनका हमारा संकल्प-कोरोना महामारी के समय में, गाजीपुर के हर परिवार और हर व्यक्ति को मिले सम्पूर्ण इलाज अभियान निरंतर चल रहा है।

वह लोगों को कोरोना वायरस से बचाव के उपायों के प्रति लगातार जागरूक करके वैक्सीन लगवाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. ‘दो गज की दूरी मास्क है जरूरी’ की कोरोना काल में अहमियत समझा रहे है। मुझे ख़ुशी इस बात से ज्यादा है की, भारतीय सोलह संस्कारों में से एक “अग्निसंस्कार” से वंचित लोगो का उन्होंने ख्याल किया और उसके लिए हर संभव प्रयत्न भी किया, जो एक सच्चे हिंदुत्व की पहचान है I

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