किसान का दर्द

विचार—विमर्श

जम गई जल की धारा कितनी ये रात सर्द है
ऊपर से बरसता हुआ पानी भी दे रहा दर्द है

हर मौसम से लड़ना ही उसकी पहचान है
दुर्भाग्य से वह मेरे भारत देश का किसान है

उसके लिए देश के बीच बनी कैसी सरहद है
जम गई जल की धारा कितनी ये रात सर्द है

लड़ना उसकी फितरत नहीं लड़ना पड़ रहा है
अपने हक के लिए उसे झगड़ना पड़ रहा है

रण कुबंरो से लड़ता हुआ वह अकेला मर्द है
जम गई जल की धारा कितनी रात सर्द है,,

महेश राठौर सोनू
गांव राजपुर गढ़ी
जिला मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश

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