किसान आंदोलनः सड़क से संसद और अब गांव-गांव तक
नई दिल्ली। कृषि कानूनों पर दिल्ली में चल रहे आंदोलन दिल्ली की सीमाओं पर जमे हुए है। वहीं दिल्ली प्रशासन दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों के चारों तरफ कंक्रीट, कीलें, कटीले तारों और बैरीकेड्स की जाल बिछा दिया है।
26 जनवरी के ट्रैक्टर रैली में हुए तांडव के बाद प्रशासन और किसान दोनों अपनी कार्यक्रम में बदलावों को और अधिक तेज कर दिया है। आंदोलन को लेकर किसान गांव-गांव महापंचायतों का दौर जारी है और आंदोलन को भारी जनसमर्थन भी मिल रहा है। सड़कों पर एक तरफ किसान कानून वापसी की मांगा को लेकर अड़े हैं, वहीं संसद में विपक्षी किसान आंदोलन पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा हैं।
भारतीय किसान यूनियन ;भाकियूद्ध राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत केंद्र की कषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के समर्थन में बुधवार को हरियाणा के जींद में किसानों की महापंचायत को संबोधित करेंगे। कहा जा रहा है कि किसान आंदोलन धार देने के लिए महापंचायत के इस मंच से राकेश टिकैत हुंकार भरेंगे और आगे की रणनीति का भी ऐलान करेंगे।
किसान नेता राकेश टिकैत ने ऐलान किया जब तक पुलिस-प्रशासन द्वारा किसानों का उत्पीड़न बंद नहीं होगा और गिरफ्तार हुए किसानों की रिहाई नहीं होती, तब तक सरकार से नए कृषि कानूनों पर कोई बातचीत नहीं होगी। इतना ही नहीं, उन्होंने आगे कहा है कि यह आंदोलन अक्टूबर तक चलता रहेगा। अगर सरकार अक्टूबर तक किसानों की बात नहीं मानती तो देशभर में 40 लाख ट्रैक्टरों के साथ किसान रैली निकालेंगे।
शुरू से विवादों में रहा यह तीनों नये कृषि कानूनों को वापसी और दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के मुद्दे पर कांग्रेस और कई विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा संसद में भारी हंगामे के कारण कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल पा रही है।
राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही बार-बार स्थगित करनी पड़ रही है। अंततः लोकसभा में हंगामे के बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को कहना पड़ा है कि सरकार किसानों से जुड़े मुद्दों पर संसद के अंदर और बाहर चर्चा करने को तैयार है। राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के मुद्दे पर तुरंत चर्चा कराने की मांग करते हुए हंगामा कर रहे हैं।