किसानों से बचते फिर रहे हैं हरियाणा के मंत्री और भाजपा नेता

देश—विदेश

आर एस यादव

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के सिलसिले में हरियाणा के किसानों ने ऐलान कर रखा है कि सरकार के मंत्री या शासक पार्टियों-भाजपा और जजपा के नेता जहां कहीं भी किसी सार्वजनिक कार्यक्रम के लिए जाएंगे, किसान उनका विरोध करेंगे और काले झंडे दिखाएंगे। इस ऐलान के कारण मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री समेत तमाम मंत्री और भाजपा और जजपा नेता किसानों से बचते फिर रहे हैं। वे कहीं भी जाते हैं, राज्य में हर कहीं उन्हंे ‘‘मोदी मुर्दाबाद’’, ‘‘खट्टर मुर्दाबाद’’, ‘‘कृषि कानून वापस लो’’ और ‘‘एमएसपी को कानूनी गारंटी दो’’ के नारों और काले झंडों का सामना करना पड़ता है।

वे किसानों से किस तरह बचते फिर रहे हैं, इसे 8 जुलाई की इस घटना से समझा जा सकता है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ को जब हिसार से रोहतक जाना था तो उन्होंने हिसार – रोहतक हाईवे पर मैयड़ गांव में टोल प्लाजा पर बैठे किसानों से बचने के लिए खरड़ गांव से होते हुए संपर्क मार्ग लेने का विकल्प चुना।

किसानों को उनके खरड़ अलीपुर गांव से जाने की भनक लगी तो वे काले झंडे लेकर गांव के पास जमा हो गए। जैसे ही धनखड़ के साथ जाने वाले वाहनों को लगभग 200 मीटर दूर काले झंडे लिए किसान नजर आए तो उन्होंने यू-टर्न ले लिया और हिसार की और लौट गए।
इसी प्रकार 5 जुलाई को डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा सोनीपत जा रहे थे तो रामणय टोल पर किसान नजर आते ही उन्होंने अपना काफिला वापस मोड़ लिया। उन्हें 11 जुलाई को भी सिरसा में किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा था।

10 जुलाई को भाजपा के चरखी दादरी में एक प्रशिक्षण शिविर को जाने वाले मंत्री, भाजपा संसद सदस्यों और भाजपा नेताओं ने गांव रानीला में काले झंडे के साथ खड़े किसानों को देखा तो उन्होंने अपना रास्ता ही बदल लिया।

किसानों के विरोध के चलते 10 जुलाई को जींद, हिसार और चरखी दादरी में भाजपा जिला कार्यकारिणी की बैठकें पुलिस के पहरे में हुई।

किसानों के खिलाफ राजद्रोह के आरोप में एफआईआर
हरियाणा के डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा को सिरसा में 11 जुलाई को काले झंडे दिखाने पर हरियाणा पुलिस में एक एफआईआर दर्ज की है, जिसमें राजद्रोह (धारा 124-ए), हत्या की कोशिश (धारा 307) और सरकारी कामकाज में बाधा डालने (धारा186) जैसे आरोप लगाए गए हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि इस तरह की एफआईआर दर्ज करना किसानों को भड़काने की कोशिश है।

काले झंडे दिखाने या किसी नेता का विरोध करने पर राजद्रोह और हत्या की कोशिश जैसे आरोप कैसे लगाए जा सकते हैं। राज्य की भाजपा सरकार के इशारे पर ही इस तरह के आरोपों पर एफआईआर दर्ज कराई गई है। सरकार किसानों को डराने-धमकाने और उन्हें आतंकित करने के रास्ते पर चल रही है। यह निंदनीय है।

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