किसानों द्वारा राष्ट्रव्यापी काला दिवस

हमारे विशेष संवाददाता द्वारा
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा 26 मई को काला दिवस को जबर्दस्त सफलता मिली। किसानों के आंदोलन को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी एवं अन्य विपक्षी पार्टियों और उनके मजदूर, महिला, युवा, छात्र एवं अन्य संगठनों का पूर्ण समर्थन था। किसानों के इस आंदोलन को छह महीने हो चुके हैं। 26 मई को ही सात साल पहले मोदी सरकार सत्ता में आयी थी। अतः 26 मई को काला दिवस मनाने का और भी महत्व था।
प्रधानमंत्री किसानों के हितों के संबंध में लम्बी-चैड़ी बातें करते आए हैं। पर वह तीन कृषि कानून लेकर आए जो किसानों के हितों के खिलाफ है और कार्पोरेटों को फायदा पहुंचाते हैं। अतः किसान इनका विरोध कर रहे हैं।
2020 में जिस समय देश कोविड-19 महामारी का संकट झेल रहा था, उस समय 5 जून को अध्यादेशों के जरिये ये तीन कानून लाए गए। बाद में इन्हें सितम्बर में संसद से पारित कराया गया। इन अध्यादेशों को राहत पैकेज का नाम देकर लाया गया था। दावा किया गया था कि इनसे किसानों को राहत पहुंचेगी। परन्तु असली मकसद केवल और केवल कार्पोरेटों को फायदा पहुंचाना और भारत की कृषि को कार्पोरेटों के हवाले करना और किसानों को कार्पोरेट लुटेरों के रहमो-करम पर निर्भर करना था।
देश भर के किसान एकताब( होकर इन कृषि कानूनों के खिलाफ उठ खड़े हुए। 26 नवम्बर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर किसान डटे हैं क्योंकि सरकार ने उन्हें दिल्ली के अंदर दाखिल नहीं होने दिया। संयुक्त किसान मोर्चे के नेतृत्व में केन्द्र और हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों की तमाम साजिशों, दमन एवं उत्पीड़न का सामना करते हुए लाखों किसान आंदोलन कर रहे हैं। विपक्ष की पार्टियों ने 26 मई को काला दिवस मनाने का समर्थन किया।
इस समर्थन और सहयोग को अभिव्यक्ति देते हुए पार्टी के मुख्यालय अजय भवन में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी. राजा के नेतृत्व में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं ने तीनों कृषि कानूनों को वापस करने की मांग करते हुए प्रदर्शन किया और काले झंडे लहराए।
दिल्ली
दिल्ली राज्य भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा काला दिवस मनाने के सिलसिले में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपने घरों पर काले झंडे लगाए। पार्टी राज्य सचिव दिनेश वाष्र्णेयने अपने घर पर काला झंडा लहराया, पूर्वी दिल्ली पार्टी इकाई ने पूर्वी विनोदनगर में काला दिवस मनाया। प्रदर्शन में पार्टी के जिला सचिव डा. केहर सिंह, एआईवाईएफ राज्य सचिव शशि गौतम, एनएफआईडब्लू राज्य सचिव अलका श्रीवास्तव आदि ने हिस्सा लिया।
पार्टी के पश्चिमी दिल्ली पार्टी आफिस के सामने भी विरोध प्रदर्शन किया गया। पार्टी जिला सचिव शंकर लाल, एनएफआईडब्लू नेता फिलोमिना जाॅन जाने आदि ने काले झंडे लहराए।
पार्टी कार्यकर्ताओं ने मंगोलपुरी, सीमापुरी, द्वारका आदि में भी काले झंडे लहराए।
आंध्र प्रदेश
गूंटूर में मलैया लिंगम भवन के सामने, चित्तूर जिले के नागरी में घंटाघर के सामने पार्टी कार्यकर्ताओं ने काले झंडे लहराए। विजयवाड़ा, राजमूंदरी, कृष्णा जिले में युचूरू, अनन्तपुरम, कडप्पा, पट्टीकोंडा, एम्मीगनूर, देमनकोंडा, नन्दीकोटगुरू, नन्दी एवं अलुरू आदि में पार्टी कार्यकर्ताओं ने काले झंडे लहराए। काले झंडे लहराते और प्रदर्शन करते कार्यकर्ताओं को भाकपा राष्ट्रीय सचिव डा. के. नारायणा और किसान सभा के नेताओं ने संबोधित किया।
तेलंगाना
तेलंगाना के सभी जिलों में लोगों ने अपने घरों, वाहनों, दफ्तरों पर काले झंडे लगाए। हाथ में काले झंडे लिए लोगों ने जगह-जगह पर प्रदर्शन किए। कुछ स्थानों पर मोदी के पुतले जलाए गए। हैदराबाद में सुंदरैय्या पार्क में काले झंडों के साथ प्रदर्शन किया गया। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के नेताओं ने हर कहीं तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने और प्रस्तावित बिजली बिल को वापस लेने की मांग की। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के कन्वीनरों के अलावा पास्या पदमा, किस्सा किरन, सागर, जे. वेंकटमैया, किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरमपल्ली मल्ला रेड्डी आदि ने संबोधित किया।
कोठागुडेम, खम्मम, करीमनगर, पेड्डीपल्ली, आदिलाबाद, नलगोंडा, यादगिरी नेकेडचेरला और हुजूरनगर आदि में काले झंडे हाथों में उठाए लोगों ने प्रदर्शन किए। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और किसान सभा के नेताओं ने संबोधित किया।
नागपुर में शहर के मुख्य चैराहे पर भाकपा कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री मोदी का पुतला जलाया। बाद में संविधान चैराहे पर एक प्रदर्शन किया गया जिसका नेतृत्व किसान नेता अरूण वानकर ने किया। इस अवसर पर युगल रायुलु, श्याम काले, जयश्री चाहंडे आदि ने संबोधित किया।
प्रदर्शन के बाद शहर के एक अन्य व्यस्त चैराहे पर मोदी का पुतला जलाया। पुलिस ने रोकने की कोशिश भी की।
देशभर में किसानों, मजदूरों और राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने काला दिवस मनाया। उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर समेत देश के सभी राज्यों और केन्द्र शासित क्षेत्रों में काला दिवस मनाया गया। हर कहीं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, अखिल भारतीय किसान सभा के अलावा अन्य पार्टियों और किसान संगठनों के नेताओं ने काला दिवस कार्यक्रमों में संबोधित किया।
अखिल भारतीय किसान सभा और एटक के राष्ट्रीय नेतृत्व ने अलग-अलग बयानों में इस जबर्दस्त विरोध कार्यक्रम की सफलता के लिए देश के किसानों का अभिनन्दन किया और जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती, अपने लगातार समर्थन का भरोसा दिलाया।

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