कण-कण जोड़ संसार बनाता

विचार—विमर्श

न मतलब के रिश्ते बनाता
अजनबियों को भी अपनाता
कण-कण जोड़ संसार बनाता
जोड दे सबको वह प्यार कहलाता

दुख दर्द पीड़ा को भुलाता
दरार भरी दीवारों का सहारा
बटते खेत में सिंचाई की एक धारा
जोड दे सबको वह प्यार कहलाता

बंजर हुई जब जब मानवता
प्यार के मीठे बोल लाए उर्वरता
बंद कलियों को बहार बनाता
जोड दे सबको वह प्यार कहलाता

गरिमा खंडेलवाल
उदयपुर

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