ओमिडयार नेटवर्क इंडिया और बीसीजी के साथ भागीदारी में एक रिपोर्ट लांच की
- रेरा के आइडिया में उच्च स्तर का भरोसा
- रेरा रजिस्ट्रेशन के प्रभावी प्रचार की बदौलत जागरूकता काफी बढ़ी है और इसलिये कानून पर भरोसा हुआ है
अब काम उस भरोसे को बनाये रखने के लिये होना है: - सुधार के चार क्षेत्र: उपभोक्ता की ज्यादा गहन समझ और व्यापक जागरूकता, चलाने में आसान वेबसाइट्स, जो परियोजना और डेवलपर का विवरण साझा करें, शिकायत का ज्यादा सुगम निवारण और रेरा के मानकीकृत डैशबोर्ड्स
नई दिल्ली: ओमिडयार नेटवर्क इंडिया (ओएनआई) ने बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) के साथ भागीदारी में एक रिपोर्ट लॉन्च की है। इस रिपोर्ट का शीर्षक है, ‘’फाइव इयर्स ऑन: एन असेसमेंट ऑफ रेरा – द रोड अहेड फॉर अ स्ट्रॉन्गर ऑन-ग्राउंड रेजिम’’। यह रिपोर्ट 5 वर्ष पूर्व रेरा के व्यवस्थापन से अब तक निर्णायक रियल एस्टेट सेक्टर पर उसके प्रभाव का आकलन करती है।
इस रिपोर्ट में आया है कि कानून ने दो घटकों के चलते खरीदारों में भरोसा पैदा किया है: एक है डेवलपर्स द्वारा मार्केटिंग, जो मुख्य रूप से मार्केटिंग के टूल के रूप में संपत्तियों के ‘रेरा रजिस्ट्रेशन’ के इस्तेमाल के कारण हुई, और दूसरा है वित्तीय पारदर्शिता, क्योंकि डेवलपर्स को उपभोक्ता द्वारा हर प्रोजेक्ट में दिये गये पेमेंट्स एक अलग एस्क्रो अकाउंट (निलंब लेखा) में रखना अनिवार्य है। हालांकि, इस सर्वे ने इस बात पर भी रोशनी डाली है कि कुल मिलाकर उपभोक्ता की जागरूकता उच्च स्तर की है, लेकिन कानून के विशेष प्रावधानों को अब भी अच्छी तरह से समझा नहीं गया है। सर्वे यह भी बताता है कि शिकायत निवारण प्रक्रिया के कार्यान्वयन में अब भी कई कमियाँ हैं।
1300 से ज्यादा ग्राहकों, डेवलपर्स और विनियामक प्राधिकारियों के साथ गहन बातचीत के आधार पर यह रिपोर्ट इनमें से प्रत्येक साझीदार पर कानून के प्रभाव को प्रकाश में लाती है। यह रिपोर्ट कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर भारत के 5 राज्यों में रेरा के प्रदर्शन का मूल्यांकन करती है। यह पहलू हैं- ग्राहक जागरूकता एवं शिक्षा, पारदर्शिता, जवाबदेही, समय पर शिकायत निवारण और रियल एस्टेट सेक्टर में कुल मिलाकर भरोसा। यह रिपोर्ट जाँच करती है कि कानून ने माइक्रो (मकान मालिक) और मैक्रो (रियल एस्टेट सेक्टर) के स्तर पर पादर्शिता और क्षमता के अभाव की चुनौतियों पर काम किया है या नहीं।
महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, ओडिशा और कर्नाटक में इन साझीदारों के मतों के अनुसार, रेरा उपभोक्ता के लिये भरोसा और जवाबदेही बढ़ाने में प्रभावी रहा है:
- रेरा की जानकारी रखने वाले 76% उपभोक्ता रेरा में ही पंजीकृत संपत्तियाँ खरीदना चाहते हैं
- 6 में से 5 उपभोक्ताओं ने रेरा के माध्यम से शिकायत का निवारण चाहा है
- सर्वे किये गये 64% डेवलपर्स रेरा अथॉरिटी से बहुत संतुष्ट हैं
- सभी योग्य परियोजनाओं में से 77% को रेरा के अंतर्गत पंजीकृत किया गया है
- सर्वे किये गये 55% डेवलपर्स रेरा के कारण ज्यादा आसानी से लोन पाने में समर्थ भी बने
हालांकि, रिपोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि रेरा के प्रावधानों पर समझ को मुख्यधारा में लाने, ज्यादा पारदर्शिता के माध्यम से साझीदार का भरोसा बढ़ाने और शिकायत निवारण प्रक्रिया को सुधारने के लिये बहुत काम किया जाना है:
- सर्वे किये गये 30% उपभोक्ता बतौर एक विनियामक, रेरा की भूमिका से अब भी अपरिचित थे
- 2 में से 1 (50%) उपभोक्ताओं को इस कानून के केवल दो फायदे ही पता थे- संबद्ध परियोजनाओं का अनिवार्य पंजीकरण और यह कि रेरा एक शिकायत निवारण फोरम है
- सभी संभावित घर खरीदारों में से केवल 14% ने अपनी संबद्ध रेरा साइट को विजिट किया था और इन उपभोक्ताओं में से 24% ने कहा कि वे ऑनलाइन अनुभव से संतुष्ट हुए
- इस बीच, सर्वे किये गये सभी डेवलपर्स में से 45% ने रेरा की वेबसाइट से असंतुष्टि