एक पर्व सेना के नाम का हो

विचार—विमर्श

एक पर्व ऐसा भी हो
जो हमारे देश के वीरों के नाम का हो
माइनस40-50डिग्री में भी
कोई जीता मरता है हमारे लिए
हम तो गद्दार ही हैं
जो हमें उनसे प्यार नहीं
हम तो गद्दार ही हैं
जो हमें उनके किए पर ऐतबार नहीं
एक पर्व उनके लंबी उम्र का हो
एक पर्व उनके कष्टों के हरण का हो
हम 10 डिग्री के ठंडी में
रजाई में घुसे रहते हैं
बहुत ठंडी है बहुत ठंडी है
ठंडी का राग अलापते हैं
देखो हमारे देश के वीरों को
मोटी-मोटी बर्फ की चादर ओढ़
न जाने वो कैसे रातों को सोते हैं?
न जाने कैसे इतनी ठंडी में रहते हैं?
न जाने वो कैसे जीते हैं?
वो हमारे देश के जवान ही हैं
जो हमारे लिए लाखों दुखों को सहते हैं
एक पर्व उनके इस त्याग बलिदान का हो
एक पर्व उनके सम्मान का हो
हम परिवार संग बैठ घरों में
सुकून से खाना खाते हैं
वो बिना परिवार का मुंह देखें ही
महीनों दिन रह जाते हैं
सुकून से खाना किसे कहते हैं
उन्हें तो यह याद भी नहीं
वो देते हैं जान हमारे लिए
हम क्या करते हैं उनके लिए?
एक पर्व उनके लंबी उम्र का हो
एक पर्व उनके कष्टों के हरण का हो
एक पर्व ऐसा भी हो
जो हमारे देश के
वीरों के नाम का हो

बबली कुमारी

डेहरी ऑन सोन रोहतास (बिहार)

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