इस मिट्टी की भाषा है हिन्दी

इस मिट्टी की भाषा है हिन्दी,
जन जन की आशा है हिन्दी,
भारत मां की सेवा को तत्पर,
त्याग की परिभाषा है हिन्दी।

गीत कहानी काव्य सुनाती,
बच्चों का यह मन बहलाती,
लोरी की मीठी धुन में यह,
मधुर मधुर किलकारी गाती।

शान और गौरव इससे ही है,
सम्मान बड़ों का इससे ही है,
साहित्य ज्ञान भी इससे ही है,
शुभ मंगल गान भी इससे ही है।

पुष्पों के पंखुड़ियों जैसी,
हिन्दी बोली प्यारी लगती,
मिलन हो या हो चाहे बिछुड़न,
मातृभाषा ही न्यारी लगती।

बच्चों की तोतली बोली में,
हंसी, मजाक और ठिठोली में,
हिन्दी ही तो रंग जमाती,
सभी दीवाली और होली में।

इसका मान हम सभी बढ़ाएं
आओ कदम से कदम मिलाएं,
मातृभाषा हिन्दी की खातिर,
उत्थान हेतु हम आगे आएं।

कवियत्री प्रियदर्शिनी तिवारी
प्रधानाध्यापिका
उच्च प्राथमिक विद्यालय कुआं डीह,
मंझनपुर कौशाम्बी

Related Articles

Back to top button